Monday, October 31, 2016

मौर्य युग भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग —डाॅ सत्यकेतु विद्यालंकार

*मौर्य युग भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग*
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*शस्त्र शक्ति और दण्डनीति के प्रयोग से प्रायः सम्पूर्ण भारत में एक साम्राज्य की स्थापना कर मौर्य वंश के राजाओं ने अपनी असाधारण शक्ति का उपयोग धम्म द्वारा विश्व -विजय के लिए किया |*

*सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र राजा सम्राट अशोक महान ने देश -देशान्तर में भारतीय सभ्यता, संस्कृति और धम्म के प्रचार के लिए जो उद्योग किया, विश्व के इतिहास में वह वस्तुतः अनुपम है | मौर्य युग को भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग मानना सर्वथा समुचित और युक्तिसंगत है |*
               *—डाॅ सत्यकेतु विद्यालंकार*

                  *||| नमो बुद्धाय |||*       
             *चलो बुद्ध धम्म की ओर*
              *चलो संविधान की ओर*
           
    🌷🌷 *(SABM -INDIA)* 🌷🌷

Sunday, October 30, 2016

मौर्य साम्राज्य —महत्वपूर्ण तथ्य :पढ़े व शेयर करें...

 *मौर्य साम्राज्य—महत्वपूर्ण तथ्य*
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मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए कुछ विद्वानों व इतिहासकारों ने *सम्राट अशोक की अहिंसा की नीति* को मुख्य रूप से उत्तरदायी बताया है |
पर प्रश्न यह है कि मौर्य साम्राज्य का पतन सम्राट अशोक के अहिंसा की नीति के कारण होना होता तो साम्राज्य का पतन सम्राट अशोक के समय ही या उनके बाद दो या तीन पीढ़ियों के राज्य करने के बाद हो जाता, पर ऐसा नहीं हुआ —उनके बाद सात पीढ़ियों तक चला |
बेशक सम्राट अशोक महान ने कलिंग के युद्ध -विजय के परिणाम को देखकर युद्ध के माध्यम से प्रदेशों या प्रांतों को न जीतने का संकल्प लिया होगा | अर्थात भगवान बुद्ध की शिक्षा : "पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि अर्थात अकारण प्राणी हिंसा से विरत" रहने की शिक्षा को अंगीकार किये होगे | *अन्य धर्मो की शिक्षा - हिंसा न करना और भगवान बुद्ध की शिक्षा अकारण हिंसा से विरत रहना में जमीन आसमान का फर्क है |*
*इसी भगवान बुद्ध की शिक्षा के तहत सम्राट अशोक महान ने सर्वप्रथम विश्व को जीओ और जीने दो (Live and Let Others Live), राजनीतिक हिंसा धर्म विरूद्ध है (Political Violence is against Dhamma) का पाठ पढ़ाया |*
सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य या प्रांतों की रक्षा के लिए युद्ध -विजय को नहीं त्यागा था | तेरहवाँ शिलालेख इसका स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करता है |
तेरहवें शिलालेख में सम्राट अशोक महान सीमांत प्रदेशों के लोगों तथा जंगली जन -जातियों को स्पष्ट चेतावनी देते हैं कि —
*"जो गलती किये हैं, सम्राट उन्हें क्षमा करने का इच्छुक है, परन्तु जो केवल क्षम्य है वही क्षमा किया जा सकता है |"*
सीमांत प्रदेश के लोगों व जंगली जनजाति के लोगों को अपनी सैनिक शक्ति की याद दिलाते हुए वह कहते हैं —
*"यदि वे अपराध नहीं छोड़ेगे तो मार दिये जायेगे |*
इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है कि सम्राट अशोक ने *बुद्ध धम्म* अपनाने के बाद सैनिकों की संख्या कम कर दिए हों अथवा सेना को धर्म प्रचार में लगा दिये हों | यदि वह ऐसा करते तो इसका उल्लेख गर्व के साथ अपने धम्म अभिलेखों में जरूर करते |
*अत: "सम्राट अशोक महान : मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण थे" —इस मत का खंडन करते हुए यह स्पष्ट सिद्ध हो जाता है कि उस समय सैनिक यथावत विद्यमान थी, बाहरी सीमाएँ पूर्णतया सुरक्षित थी और देश के भीतर भी शांति एवं उच्च कोटि की व्यवस्था विद्यमान थी | इसलिए राष्ट्रनायक सम्राट अशोक महान को मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बताना पूर्णतया 100 % गलत है |*
*धम्म विजय* का मतलब प्रांत या प्रदेशों को जीतने के लिए युद्ध को त्यागकर प्रेम, दया, मृदुता, एवं उदारता इत्यादि से जीतना | जब कोई भी काम प्यार से हो जाए तो युद्ध की क्या जरूरत है | इसका परिणाम भी उन्हें अच्छा मिला और वे भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व  इतिहास में *"सम्राट अशोक महान (Ashoka the Great)"* के नाम से जाने गये |
*सम्राट अशोक महान के धम्म विजय के क्षेत्र —*
मिस्र, मेसिडोनिया, एरियस, पश्चिमी एशिया, फारस, सीरिया, चेर, पाण्ड्य, चोल, लंका (श्रीलंका), चीन, सूवर्णभूमि, हिमवन्त प्रदेश प्रमुख हैं |
                
                  *||| नमो बुद्धाय |||*       
             *चलो बुद्ध धम्म की ओर*
              *चलो संविधान की ओर*
            *जय सिर मौर्य प्रबुद्ध भारत*
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