Monday, June 12, 2017

इतिहास के झरोखे से : शाक्य वंश —शेयर करें...

इतिहास के झरोखे से : विश्वगुरु भगवान बुद्ध का शाक्य वंश -वृक्ष... ✍🏻
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विश्वगुरू भगवान बुद्ध का शाक्य वंश (गोत्र, असली शब्द - गोत) : वृक्ष, आधुनिक भारत की अनेक जातियों का समुच्चय था ।
1) बुद्ध का जन्म किस कुल में हुआ था ? वहीं शाक्य वंश में ।
👆 शाक्य कौन हैं ? वहीं शाक्य, सागबेरिया, सागबरिया आदि ।
2) बुद्ध का ससुराल कहाँ था ? वहीं कोलिय वंश में ।
👆 कोलिय कौन हैं ? वहीं कोल, कोली, कील, कोरी, कुरी, कीर, कोइरी , किरार, कुर्मी आदि ।
3) बुद्ध की पत्नी कौन थी ? वहीं गोपा ।
👆 गोपा कौन है ? वहीं गोप, गोआर, ग्वाल, गड़ेरी आदि ।
4) बुद्ध की पत्नी का दूसरा नाम क्या था ? वहीं भद्र कच्छा।
👆 कच्छा कौन हैं ? वहीं काछी , कछवाहा, कछवी, काची, कचिया आदि ।
5) बुद्ध की मौसी कौन थी ? वहीं प्रजापति ।
👆 प्रजापति कौन हैं ? वहीं सोनार , लोहार , कुम्हार, बढ़ई आदि ।
6) बुद्ध को खीर किसने खिलाई ? वहीं सुजाता ।
👆 सुजाता कौन थी ? वहीं सैनी, सेनी, सेना आदि ।
7) बुद्ध की शव -धातु पर वंश को लेकर किसने अधिकार जताया । वहीं मल्ल, मोरिय आदि ।
👆 ये मल्ल -मोरिय कौन हैं ? वहीं मल्लाह, मोरी, मोरे, मरार, मुराव, मुराई, मौर्य आदि ।
Via Dr. Rajendra Prasad Singh

||| 563 ||| नमो बुद्धाय |||
चलो बुद्ध धम्म की ओर..
चलो संविधान की ओर...
SABM -INDIA

Saturday, June 10, 2017

विश्वगुरु भगवान बुद्ध के 5 सिद्धांत पंचशील (Buddha 5 principles of Panchshila) : Read & Share

विश्वगुरू भगवान बुद्ध के 5 सिद्धांत : पंचशील 

(Buddha's Five principles of Panchshila)

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पालि भाषा (Pali Language) —
1) पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
2) अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
3) कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
4) मूसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
5) सुरा -मेरय -मज्ज -पमादट्ठाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
हिंदी अर्थ —
1) मैं अकारण प्राणी -हिंसा से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
2) मैं चोरी से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
3) मैं लैंगिक दुराचार या व्यभिचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
4) मैं असत्य बोलने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
5) मैं सुरा (कच्ची शराब), मद्य और नशीली चीजों के सेवन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
English Language —
1) No unprovoked killing (Respect for life)
2) No stealing (Respect for others' property)
3) No sexual misconduct (Respect for our pure nature)
4) No lying (Respect for honesty)
5) No intoxicants (Respect for a clear mind)
*नमो बुद्धाय*
*चलो बुद्ध धम्म की ओर*
*रावण सिंह शाक्य*
*SABM -INDIA*

Friday, June 9, 2017

बुद्धिस्ट पर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व : शेयर करें

बुद्धिस्ट पर्व "ज्येष्ठ पूर्णिमा" का महत्व —
•••••••••••••••••SABM••••••••••••••••••
दोस्तों ! आज बुद्धिस्टों के लिए महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि आज बुद्धिस्ट पर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा है | आज के दिन क्या हुआ था, पढ़ें —
1) सुजाता की धम्मदीक्षा |
2) महाधम्मदायाद सम्राट अशोक महान के पुत्र महाथेर महिन्द (महेन्द्र) का श्रीलंका में आगमन (252 ईसा पूर्व) |
3) सम्राट अशोक महान द्वारा बुलायी गयी तीसरी धम्म संगीति का समापन |
4) महाधम्मदायाद महाथेर महिन्द (महेन्द्र) का परिनिर्वाण (203 ईसा पूर्व)
5) उत्कल (उड़ीसा) में तपस्सु व भल्लिक व्यापारियों की धम्मदीक्षा |
• बुद्ध धम्म में पूर्णिमाओं का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि हर पूर्णिमा को विश्वगुरू तथागत बुद्ध या उनके शिष्यों से संबंधित घटनाएँ जुड़ी हुई है | भरहुत, साँची, अमरावती और कई जगहों पर पाये गये शिल्पों में दर्शाया गया है कि उपासक स्त्री -पुरूष बुद्ध प्रतीकों का चुम्बन कर रहे हैं | इन्हीं प्रतीकों में से चैत्य को ही "बुद्ध" का रूप कहा गया है | चैत्यों में बुद्ध अवशेष होने पर उसे "स्तूप" कहा जाता है | इसलिए हर पूर्णिमा को बौद्ध उपासक व उपासिकाओं को अच्छे वस्त्र पहनकर परिवार के सभी लोगों के साथ अपने नजदीक के चैत्यों, स्तूपों, बुद्ध विहारों पर धम्म वन्दना के लिए जाना चाहिए |  उसका प्रेम पूर्वक वंदन करना, आदर्श पूर्वक हृदय से स्पर्श करना बौद्धों का परम कर्तव्य है |
• सभी देशवासियों को ज्येष्ठ पूर्णिमा की हार्दिक बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, मंगलकामनाएँ व नमो बुद्धाय...
||| नमो बुद्धाय |||
चलो बुद्ध धम्म की ओर
चलो संविधान की ओर
@ रावण सिंह शाक्य
SABM -INDIA

बुद्धिस्ट पर्व "ज्येष्ठ पूर्णिमा" का महत्व : शेयर करें

बुद्धिस्ट पर्व "ज्येष्ठ पूर्णिमा" का महत्व —
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दोस्तों ! आज बुद्धिस्टों के लिए महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि आज बुद्धिस्ट पर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा है | आज के दिन क्या हुआ था, पढ़ें —
1) सुजाता की धम्मदीक्षा |
2) महाधम्मदायाद सम्राट अशोक महान के पुत्र महाथेर महिन्द (महेन्द्र) का श्रीलंका में आगमन (252 ईसा पूर्व) |
3) सम्राट अशोक महान द्वारा बुलायी गयी तीसरी धम्म संगीति का समापन |
4) महाधम्मदायाद महाथेर महिन्द (महेन्द्र) का परिनिर्वाण (203 ईसा पूर्व)
5) उत्कल (उड़ीसा) में तपस्सु व भल्लिक व्यापारियों की धम्मदीक्षा |
• बुद्ध धम्म में पूर्णिमाओं का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि हर पूर्णिमा को विश्वगुरू तथागत बुद्ध या उनके शिष्यों से संबंधित घटनाएँ जुड़ी हुई है | भरहुत, साँची, अमरावती और कई जगहों पर पाये गये शिल्पों में दर्शाया गया है कि उपासक स्त्री -पुरूष बुद्ध प्रतीकों का चुम्बन कर रहे हैं | इन्हीं प्रतीकों में से चैत्य को ही "बुद्ध" का रूप कहा गया है | चैत्यों में बुद्ध अवशेष होने पर उसे "स्तूप" कहा जाता है | इसलिए हर पूर्णिमा को बौद्ध उपासक व उपासिकाओं को अच्छे वस्त्र पहनकर परिवार के सभी लोगों के साथ अपने नजदीक के चैत्यों, स्तूपों, बुद्ध विहारों पर धम्म वन्दना के लिए जाना चाहिए |  उसका प्रेम पूर्वक वंदन करना, आदर्श पूर्वक हृदय से स्पर्श करना बौद्धों का परम कर्तव्य है |
• सभी देशवासियों को ज्येष्ठ पूर्णिमा की हार्दिक बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, मंगलकामनाएँ व नमो बुद्धाय...
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@ रावण सिंह शाक्य
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