*बुद्ध धम्म और महापंडित राहुल सांकृत्यायान*
*राहुल सांकृत्यायान जयंती —9 अप्रैल पर विशेष*
••••••••••••••••• *SABM* •••••••••••••••
*आज बौद्ध धर्म को सबसे बड़ा नुकसान ये बात कर रही है कि ये दलितों का धर्म है, लोगों में मानसिकता पनप गयी है | जिसके वजह से इसे लोग समझने के लिए भी तैयार नहीं जबकि ये वो मत है कि इसे जो भी एक बार ठीक से समझ ले उसे फिर दुनिया में किसी भी धर्म के सिद्धांत खोखले लगते हैं। ये सबसे अच्छा धर्म है क्योंकि यहाँ सत्य और तर्क ज्यादा है बाकि जगह कल्पना, गुटबाजी और पुरोहितवाद ज्यादा है । इसी कड़ी में प्रस्तुत है बौद्ध धर्म के महाज्ञाता पंडित राहुल सांकृत्यायन का छोटा सा जीवन परिचय :*
☸ *बुद्ध धम्म के महाज्ञाता राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व -दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान दिए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था।*
*राहुल सांकृत्यायन जी का जन्म 9 अप्रैल, 1893 को पन्दहा ग्राम, ज़िला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ। राहुल सांकृत्यायन के पिता का नाम गोवर्धन पाण्डे और माता का नाम कुलवन्ती था। पितृकुल से मिला हुआ उनका नाम ‘केदारनाथ पाण्डे’ था। बचपन से ही वे अन्धविश्वास और कर्मकांड को पसंद नहीं करते थे, धर्म की जिज्ञासा पूर्ति उन्हें सन् 1930 ई. में लंका में बौद्ध मत को समझने से मिली जिसके बाद उन्होंने बौद्ध मत को हिंदी में उपलब्ध करने में अपना सारा जीवन लगा दिया । उन्होंने भगवान बुद्ध और उनके धम्म मार्ग से पिता के समान प्रेम किया और खुद को बेटा मानकर भगवान बुद्ध के बेटे राहुल के नाम पर अपना नाम भी राहुल रख लिया । बौद्ध होने के पूर्व राहुल जी ‘दामोदर स्वामी’ के नाम से भी पुकारे जाते थे। ‘राहुल’ नाम के आगे ‘सांस्कृत्यायन’ इसलिए लगा कि पितृकुल सांकृत्य गोत्रीय है।*
*कट्टर सनातनी ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भी सनातन या ब्राह्मण या हिन्दू धर्म की रूढ़ियों को राहुल जी ने अपने ऊपर से उतार फेंका और जो भी तर्कवादी धर्म या तर्कवादी समाजशास्त्र उनके सामने आते गये, उसे ग्रहण करते गये और शनै: शनै: उन धर्मों एवं शास्त्रों के भी मूल तत्वों को अपनाते हुए उनके बाह्य ढाँचे को छोड़ते गये।*
☸ *सन् 1930 में श्रीलंका जाकर वे बौद्ध धर्म में दीक्षित हो गये एवं तभी से वे ‘रामोदर साधु’ से ‘राहुल’ हो गये और सांकृत्य गोत्र के कारण सांकृत्यायन कहलाये। उनकी अद्भुत तर्कशक्ति और अनुपम ज्ञान भण्डार को देखकर काशी के पंडितों ने उन्हें महापंडित की उपाधि दी एवं इस प्रकार वे केदारनाथ पाण्डे से महापंडित राहुल सांकृत्यायन हो गये।*
*राहुल सांकृत्यायान जयंती —9 अप्रैल पर विशेष*
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*आज बौद्ध धर्म को सबसे बड़ा नुकसान ये बात कर रही है कि ये दलितों का धर्म है, लोगों में मानसिकता पनप गयी है | जिसके वजह से इसे लोग समझने के लिए भी तैयार नहीं जबकि ये वो मत है कि इसे जो भी एक बार ठीक से समझ ले उसे फिर दुनिया में किसी भी धर्म के सिद्धांत खोखले लगते हैं। ये सबसे अच्छा धर्म है क्योंकि यहाँ सत्य और तर्क ज्यादा है बाकि जगह कल्पना, गुटबाजी और पुरोहितवाद ज्यादा है । इसी कड़ी में प्रस्तुत है बौद्ध धर्म के महाज्ञाता पंडित राहुल सांकृत्यायन का छोटा सा जीवन परिचय :*
☸ *बुद्ध धम्म के महाज्ञाता राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व -दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान दिए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था।*
*राहुल सांकृत्यायन जी का जन्म 9 अप्रैल, 1893 को पन्दहा ग्राम, ज़िला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ। राहुल सांकृत्यायन के पिता का नाम गोवर्धन पाण्डे और माता का नाम कुलवन्ती था। पितृकुल से मिला हुआ उनका नाम ‘केदारनाथ पाण्डे’ था। बचपन से ही वे अन्धविश्वास और कर्मकांड को पसंद नहीं करते थे, धर्म की जिज्ञासा पूर्ति उन्हें सन् 1930 ई. में लंका में बौद्ध मत को समझने से मिली जिसके बाद उन्होंने बौद्ध मत को हिंदी में उपलब्ध करने में अपना सारा जीवन लगा दिया । उन्होंने भगवान बुद्ध और उनके धम्म मार्ग से पिता के समान प्रेम किया और खुद को बेटा मानकर भगवान बुद्ध के बेटे राहुल के नाम पर अपना नाम भी राहुल रख लिया । बौद्ध होने के पूर्व राहुल जी ‘दामोदर स्वामी’ के नाम से भी पुकारे जाते थे। ‘राहुल’ नाम के आगे ‘सांस्कृत्यायन’ इसलिए लगा कि पितृकुल सांकृत्य गोत्रीय है।*
*कट्टर सनातनी ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भी सनातन या ब्राह्मण या हिन्दू धर्म की रूढ़ियों को राहुल जी ने अपने ऊपर से उतार फेंका और जो भी तर्कवादी धर्म या तर्कवादी समाजशास्त्र उनके सामने आते गये, उसे ग्रहण करते गये और शनै: शनै: उन धर्मों एवं शास्त्रों के भी मूल तत्वों को अपनाते हुए उनके बाह्य ढाँचे को छोड़ते गये।*
☸ *सन् 1930 में श्रीलंका जाकर वे बौद्ध धर्म में दीक्षित हो गये एवं तभी से वे ‘रामोदर साधु’ से ‘राहुल’ हो गये और सांकृत्य गोत्र के कारण सांकृत्यायन कहलाये। उनकी अद्भुत तर्कशक्ति और अनुपम ज्ञान भण्डार को देखकर काशी के पंडितों ने उन्हें महापंडित की उपाधि दी एवं इस प्रकार वे केदारनाथ पाण्डे से महापंडित राहुल सांकृत्यायन हो गये।*
☸ *बौद्ध धर्म पर उनके कुछ हिंदी लेखन निम्न प्रकार से हैं —*
*बुद्धचर्या’ (1930 ई.)*
*धम्मपद’ (1933 ई.)*
*विनय पिटक’ (1934 ई.)*
*महामानव बुद्ध’ (1956 ई.)*
*मज्झिम निकाय – हिंदी अनुवाद (1933)*
दिघ निकाय –हिंदी अनुवाद (1935 ई.)*
*संयुत्त निकाय –हिंदी अनुवाद*
*ऋग्वैदिक आर्य*
*दर्शन दिग्दर्शन*
*तुम्हारी क्षय –भारतीय जाती व्यवस्था, चल चलन पर व्यंग*
*पुरस्कार —*
*महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को सन् 1958 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और सन् 1963 भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।*
*सभी भारतवासियों को पंडित राहुल सांकृत्यायान जयंती की ढेर सारी बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, नमो बुद्धाय...*
*सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ (SABM)*
*नमो बुद्धाय*
*चलो धम्म की ओर*
*जनहित में शेयर करें...*
*बुद्धचर्या’ (1930 ई.)*
*धम्मपद’ (1933 ई.)*
*विनय पिटक’ (1934 ई.)*
*महामानव बुद्ध’ (1956 ई.)*
*मज्झिम निकाय – हिंदी अनुवाद (1933)*
दिघ निकाय –हिंदी अनुवाद (1935 ई.)*
*संयुत्त निकाय –हिंदी अनुवाद*
*ऋग्वैदिक आर्य*
*दर्शन दिग्दर्शन*
*तुम्हारी क्षय –भारतीय जाती व्यवस्था, चल चलन पर व्यंग*
*पुरस्कार —*
*महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को सन् 1958 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और सन् 1963 भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।*
*सभी भारतवासियों को पंडित राहुल सांकृत्यायान जयंती की ढेर सारी बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, नमो बुद्धाय...*
*सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ (SABM)*
*नमो बुद्धाय*
*चलो धम्म की ओर*
*जनहित में शेयर करें...*
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