*कार्तिक पूर्णिमा —14 नवम्बर*
*कार्तिक पूर्णिमा का बुद्ध धम्म में महत्व*
••••••••••••••••• *SABM••••••••••••••••••
*कार्तिक पूर्णिमा का बुद्ध धम्म में महत्व*
••••••••••••••••• *SABM••••••••••••••••••
1) विश्वगुरू तथागत बुद्ध द्वारा प्रथम 60 अर्हत भिक्खुओं को लोक कल्याण हेतु चारों दिशाओं में जाकर धम्म प्रचार -प्रसार का आदेश |
2) तथागत बुद्ध द्वारा कश्यप बन्धुओं को धम्मदीक्षा |
3) धम्म सेनापति सारिपुत्त की धम्मदीक्षा |
4) सारिपुत्त के तीन भाई सुंद, उपसेन व रेवत और तीन बहनें चाला, उपचाला व शिशुपाला की धम्मदीक्षा |
5) भिक्खु संघ का वार्षावास पूर्णरूपेण समाप्त |
6) भिक्खु सारिपुत्त का नालाग्राम में परिनिर्वाण (484 ईसा पूर्व) |
7) भिक्खु उरूवेला कश्यप का परिनिर्वाण |
2) तथागत बुद्ध द्वारा कश्यप बन्धुओं को धम्मदीक्षा |
3) धम्म सेनापति सारिपुत्त की धम्मदीक्षा |
4) सारिपुत्त के तीन भाई सुंद, उपसेन व रेवत और तीन बहनें चाला, उपचाला व शिशुपाला की धम्मदीक्षा |
5) भिक्खु संघ का वार्षावास पूर्णरूपेण समाप्त |
6) भिक्खु सारिपुत्त का नालाग्राम में परिनिर्वाण (484 ईसा पूर्व) |
7) भिक्खु उरूवेला कश्यप का परिनिर्वाण |
*बुद्ध धम्म में पूर्णिमाओं का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि हर पूर्णिमा को विश्वगुरू तथागत बुद्ध से संबंधित घटनाएँ जुड़ी हुई है | भरहुत, अमरावती और कई जगहों पर पाये गये शिल्पों में दर्शाया गया है कि उपासक स्त्री -पुरूष बुद्ध प्रतीकों का चुम्बन कर रहे हैं | इन्हीं प्रतीकों में से चैत्य को ही बुद्ध का रूप कहा गया है | चैत्यों में बुद्ध अवशेष होने पर उसे स्तूप कहा जाता है | इसलिए हर पूर्णिमा को बौद्ध उपासक व उपासिकाओं को अच्छे वस्त्र पहनकर परिवार के सभी लोगों के साथ अपने नजदीक के चैत्यों, स्तूपों, बुद्ध विहारों पर धम्म वन्दना के लिए जाना चाहिए | उसका प्रेम पूर्वक वंदन करना, आदर्श पूर्वक हृदय से स्पर्श करना बौद्धों का परम कर्तव्य है |
*नोट —जिसके घर के नजदीक कोई चैत्य, स्तूप, बुद्ध विहार न मौजूद हो उसे अपने घर को ही बुद्धमय बनाकर धम्म वन्दना करना चाहिए |*
*सभी देशवासियों को कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, मंगलकामनाएँ व नमो बुद्धाय...*
No comments:
Post a Comment