Thursday, August 17, 2017

देश की बाह्य सुरक्षा हेतु विश्वगुरु बुद्ध का उपदेश @ चित्रप्रभा त्रिसरण

👆 देश की बाह्य सुरक्षा हेतु बुद्ध का उपदेश
____________SABM______________
||| Namo Buddhaya |||
👆 अहिंसा के मामले में विश्वगुरु तथागत बुद्ध की शिक्षाओं को जो लोग दोष देतें हैं, उनके लिए विशेष.
👆 बुद्ध ने हिंसा की नहीं, अपितु अकारण हिंसा न करने की शिक्षाओं पर बल दिया था. लेकिन तथाकथित विद्वानों ने उसे गलत ढंग से आम जनमानस के सामने पेश किया. और साम्राज्यों के पतन के कारण के रूप में बुद्ध की इस शिक्षा को दोष दिया. जो कि पूर्ण रूप से मूर्खता के अलावा और कुछ नहीं.
👆 भगवान बुद्ध ने "एकतंत्रीय राजा" के लिए बाहरी आक्रमण से प्रजा को सुरक्षित रखने का जो महत्वपूर्ण उपदेश दिया था, प्रियदर्शी अशोक व अन्य राजाओं ने उसका पूर्ण रूप से पालन किया. जिसके कारण मौर्य साम्राज्य की बाह्य सीमाएँ व आंतरिक साम्राज्य पूर्णतया सुरक्षित था, विश्व इतिहास में "पियदसि असोक" को  महान, चक्रवर्ती (सम्राटों के सम्राट) और विश्वविजेता कहा गया.
👆 बुद्ध द्वारा बताये गए देश की बाह्य सुरक्षा की सात आवश्यकताएँ —
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बुद्ध ने अपने उपदेश में सुरक्षित सीमांत नगर (सरहद) की इस प्रकार व्याख्या की. सीमांत नगर (सरहदों) के बचाव के लिए सात आवश्यकताएँ बताई —
____________ अंगुत्तरनिकाय 2.7. 67, नगरोपमसुत्त
1) चतुरंगिणी सेना और जांबाज सैनिक (Commando)
2) इंदकील
3) चौड़ी और गहरी खाई
4) सपाट जमीन
5) आयुध भण्डार
6) शूरवीर द्वारपाल
7) किले की दिवारें
👆 इन सातों के बारे में व्याख्या अगले लेख में.
👆 इसके अतिरिक्त कभी शत्रु अधिक दिनों तक किले को चारों ओर से घेरे रखे, जिससे कि अस्त्र -शस्त्र व भोजन इत्यादि के अभाव में लोगों को घुटने टेकने पड़ जाये.
👆 ऐसी आंशका को ध्यान में रखकर बुद्ध ने चार प्रकार की आवश्यक वस्तुओं का संग्रह के लिए कहा —
1) पशुओं के लिए आहार जैसै घास इत्यादि.
2) मनुष्यों के लिए आहार जैसे धान, जौ तथा अन्य खाद्यान्न.
3) मूंग, उड़द, तिल आदि दालें व तिलहन.
4) घी, मक्खन, मधु, शक्कर, लवण तथा दवा -दारू के लिए अन्य सभी आवश्यक सामग्रियाँ.
____________ अंगुत्तरनिकाय 2.7. 67, नगरोपमसुत्त
👆 अब जरा सोचें, जिसने (बुद्ध) साम्राज्य की बाह्य सुरक्षा के लिए इतने सख्त नियम -कानून के बारे में राजाओं को उपदेश दिया हो, उसकी शिक्षा को तथाकथित विद्वानों द्वारा दोषी बताना कहा तक उचित व सही है. चक्रवर्ती अशोक व अन्य राजाओं ने इन नियमों को अपनाया था.
@ चित्रप्रभा त्रिसरण ©
SABM -INDIA
चलो धम्म की ओर
—चलो संविधान की ओर

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