Thursday, August 17, 2017

देश की बाह्य सुरक्षा हेतु विश्वगुरु बुद्ध का उपदेश @ चित्रप्रभा त्रिसरण

👆 देश की बाह्य सुरक्षा हेतु बुद्ध का उपदेश
____________SABM______________
||| Namo Buddhaya |||
👆 अहिंसा के मामले में विश्वगुरु तथागत बुद्ध की शिक्षाओं को जो लोग दोष देतें हैं, उनके लिए विशेष.
👆 बुद्ध ने हिंसा की नहीं, अपितु अकारण हिंसा न करने की शिक्षाओं पर बल दिया था. लेकिन तथाकथित विद्वानों ने उसे गलत ढंग से आम जनमानस के सामने पेश किया. और साम्राज्यों के पतन के कारण के रूप में बुद्ध की इस शिक्षा को दोष दिया. जो कि पूर्ण रूप से मूर्खता के अलावा और कुछ नहीं.
👆 भगवान बुद्ध ने "एकतंत्रीय राजा" के लिए बाहरी आक्रमण से प्रजा को सुरक्षित रखने का जो महत्वपूर्ण उपदेश दिया था, प्रियदर्शी अशोक व अन्य राजाओं ने उसका पूर्ण रूप से पालन किया. जिसके कारण मौर्य साम्राज्य की बाह्य सीमाएँ व आंतरिक साम्राज्य पूर्णतया सुरक्षित था, विश्व इतिहास में "पियदसि असोक" को  महान, चक्रवर्ती (सम्राटों के सम्राट) और विश्वविजेता कहा गया.
👆 बुद्ध द्वारा बताये गए देश की बाह्य सुरक्षा की सात आवश्यकताएँ —
_______________________________
बुद्ध ने अपने उपदेश में सुरक्षित सीमांत नगर (सरहद) की इस प्रकार व्याख्या की. सीमांत नगर (सरहदों) के बचाव के लिए सात आवश्यकताएँ बताई —
____________ अंगुत्तरनिकाय 2.7. 67, नगरोपमसुत्त
1) चतुरंगिणी सेना और जांबाज सैनिक (Commando)
2) इंदकील
3) चौड़ी और गहरी खाई
4) सपाट जमीन
5) आयुध भण्डार
6) शूरवीर द्वारपाल
7) किले की दिवारें
👆 इन सातों के बारे में व्याख्या अगले लेख में.
👆 इसके अतिरिक्त कभी शत्रु अधिक दिनों तक किले को चारों ओर से घेरे रखे, जिससे कि अस्त्र -शस्त्र व भोजन इत्यादि के अभाव में लोगों को घुटने टेकने पड़ जाये.
👆 ऐसी आंशका को ध्यान में रखकर बुद्ध ने चार प्रकार की आवश्यक वस्तुओं का संग्रह के लिए कहा —
1) पशुओं के लिए आहार जैसै घास इत्यादि.
2) मनुष्यों के लिए आहार जैसे धान, जौ तथा अन्य खाद्यान्न.
3) मूंग, उड़द, तिल आदि दालें व तिलहन.
4) घी, मक्खन, मधु, शक्कर, लवण तथा दवा -दारू के लिए अन्य सभी आवश्यक सामग्रियाँ.
____________ अंगुत्तरनिकाय 2.7. 67, नगरोपमसुत्त
👆 अब जरा सोचें, जिसने (बुद्ध) साम्राज्य की बाह्य सुरक्षा के लिए इतने सख्त नियम -कानून के बारे में राजाओं को उपदेश दिया हो, उसकी शिक्षा को तथाकथित विद्वानों द्वारा दोषी बताना कहा तक उचित व सही है. चक्रवर्ती अशोक व अन्य राजाओं ने इन नियमों को अपनाया था.
@ चित्रप्रभा त्रिसरण ©
SABM -INDIA
चलो धम्म की ओर
—चलो संविधान की ओर

विश्वगुरु भगवान बुद्ध —एक सबसे बड़े पर्यावरणविद् @ शेयर करें

विश्वगुरू भगवान बुद्ध एक सबसे बड़े पर्यावरणविद्
Buddha : A greatest Environmentalists
______________SABM_______________
||| Namo Buddhaya |||
👆  विश्वगुरु भगवान बुद्ध एक ऐसे पर्यावरणविद् थे, जो शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोधन के घर का होते हुए भी उनके जीवन में घटने वाली महत्वपूर्ण घटनाएँ वृक्ष के नीचे ही घटित हुई —
1) जन्म : शाल वृक्ष के नीचे लुम्बिनी में हुआ.
2) सम्बोधि (ज्ञान प्राप्ति) : पीपल वृक्ष के नीचे बोधगया में हुआ.
3) महापरिनिर्वाण (मृत्यु) : शाल वृक्ष के नीचे कुशीनारा (कुशीनगर) में हुआ.
👆  सबसे बड़ी दिलचस्प बात यह है कि उनके जीवन की तीनों महत्वपूर्ण घटनाएँ जब घटित हुई, वह दिन था —"वैशाख पूर्णिमा", जो आज पूरे विश्व में बुद्ध पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्ध है
👆  नोट : भगवान बुद्ध ने धर्मचक्र प्रवर्तन (प्रथम देशना) भी पाँच संन्यासियों को एक वृक्ष के नीचे आषाढ़ पूर्णिमा को इसिपतन (सारनाथ) में दिया था.
चलो धम्म की ओर...
—चलो संविधान की ओर...
SABM -INDIA

Monday, August 14, 2017

सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य जयन्ती "चन्द्रगुप्त -अष्टमी" 19 अप्रैल पर विशेष

☸ *भारत के प्रथम चक्रवर्ती व अखण्ड भारत के निर्माता सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य.....✍🏻*                  
••••••••••••••••••• *SABM*••••••••••••••••
   ✅ अखण्ड भारत के निर्माता ✅
*1)* मौर्य साम्राज्य के संस्थापक ~ सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य 
*2)* मौर्य वंश किस ऐतिहासिक वंश की शाखा है ~ शाक्य वंश 
*3)* मौर्य शब्द किस शब्द से निकला है ~ मोरिय 
*4)* मोरिय शब्द का अर्थ है ~ मोरों के प्रदेश का निवासी 
*5)* मौर्य वंश किस कुल से संबंधित है ~ खत्तिय 
*6)* सबसे प्राचीन बौद्ध ग्रंथ "महापरिनिब्बानसूत्त" में मौर्यों को पिप्पलिवन का शासक तथा खत्तिय कुल का कहा गया है |
*7)* जैन व बौद्ध दोनों ही साक्ष्य "मौर्यों" को "मयूर" अर्थात मोर से संबंधित करते हैं, जिसे इतिहासकारों व पुरातत्वविदों ने विश्वसनीय माना है | इसी कारण मौर्य युग की कलाकृतियों में मयुरों (मोरों) का प्रतिनिधित्व देखने को मिलती है | इस मत की पुष्टि सम्राट अशोक की "लौरियानन्दगढ़ के स्तम्भ" के नीचे के भाग में उत्कीर्ण मयूर की आकृति से भी हो जाती है |

*8)* सर्वप्रथम किसने बताया कि "मयूर" (मोर) मौर्यों का वंशीय चिह्न (Dynastic Emblem) है ~ ग्रुनवेडेल महोदय 
*9)* चंद्रगुप्त की माता का नाम ~ धम्म मोरिया
*10)* चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म ~ 345 ईसा पूर्व (widely accepted), वैशाख मास कृष्णपक्ष अष्टमी 
*11)* मौर्य वंश की राजधानी थी ~ पाटलिपुत्र 
*12)* सर्वप्रथम भारतीय साम्राज्य किसने स्थापित किया ~ चंद्रगुप्त मौर्य 
*13)* चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री था ~ चाणक्य / कौटिल्य / विष्णुगुप्त 
*14)* पाटलिपुत्र में चंद्रगुप्त मौर्य का महल किसका बना था ~ लकड़ी का 
*15)* बुलंदीबाग (जहाँ  चंद्रगुप्त मौर्य के लकड़ी के बने विशाल भवनों के अवशेष मिले हैं ) कहाँ है ~ पाटलिपुत्र में 
*16)* वह ग्रंथ जिसमें चंद्रगुप्त मौर्य का विशिष्ट वर्णन है ~ विशाखदत्त 
*17)* चंद्रगुप्त मौर्य के यूनानी नाम ~
  • सेन्ड्रोकोटस ~ स्ट्रैबो, एरियन, जस्टिन द्वारा
  • एन्ड्रोकोटस ~ एपियन, प्लूटार्क द्वारा 
  • सेन्ड्रोकोप्टस ~ फिलार्कस 
*18)* वह इतिहासकार जिसने सेन्ड्रोकोटस की पहचान चंद्रगुप्त मौर्य से की ~ विलियम जोंस 
*19)* चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यरोहण की तिथि ~ 322 ईसा पूर्व (widely accepted)
*20)* चंद्रगुप्त मौर्य ने कब से कब तक राज्य किया ~ 322 -298 ईसा पूर्व : 24 वर्ष (widely accepted)
*21)* वे ग्रंथ जिनमें चंद्रगुप्त मौर्य को खत्तिय (क्षत्रिय) कुल का बताया गया है ~ बौद्ध एवं जैन ग्रंथ 
*22)* किस यूनानी इतिहासकार ने चंद्रगुप्त मौर्य और सिकन्दर की भेंट का उल्लेख किया है ~ जस्टिन 
*23)* जब चाणक्य से चंद्रगुप्त मौर्य की पहली बार मुलाकात हुई, उस समय चंद्रगुप्त मौर्य किस खेल में व्यस्त था ~ राजकीलम नामक खेल 
*24)* चंद्रगुप्त मौर्य ने 305 ईसा पूर्व में किसे हराया ~ सेल्यूकस निकेटर 
*25)* वह राजदूत जिसे सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था ~ मेगस्थनीज 
*26)* गिरनार में सुदर्शन झील का निर्माण किस शासक ने करवाया ~ चंद्रगुप्त मौर्य 
*27)* चंद्रगुप्त मौर्य किस धर्म के अनुयायी थे ~ जैन धर्म 
*28)* वह जैन साधु जिसके शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य थे ~ भद्रबाहु 
*29)* अर्थशास्त्र पुस्तक की रचना ~ चाणक्य 
*30)* किस अभिलेख से चंद्रगुप्त मौर्य के सौराष्ट्र विजय की पुष्टि होती है ~ रूद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से 
*31)* वह विद्वान जिनके अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य के समय भारत की वैज्ञानिक सीमा हिंदूकुश पर्वत तक था ~ स्मिथ 
*32)* वह विद्वान जिसके अनुसार भारतीय समाज सात वर्गों में विभाजित था ~ मेगस्थनीज 
*33)* मौर्य काल में स्वर्ण सिक्के कहलाते थे ~ निष्क /सुवर्ण 
*34)* विधवा पुनर्विवाह का प्रचलन था ~ मौर्यकालीन समाज में 
*35)* वह समाज जिसमें अन्तर्जातीय विवाह की प्रथा प्रचलित थी ~ मौर्य समाज 
*36)* वह क्षेत्र जिसमें सर्वप्रथम मौर्यकालीन पत्थर का प्रयोग किया गया ~ कला क्षेत्र 
*37)* मौर्ययुगीन वह कला जो चरमोत्कर्ष पर था ~ काष्ठकला 
*38)* कौटिल्य का अर्थशास्त्र है, एक ~ मौर्य कालीन सत्ता के सिद्धांतों की पुस्तक 
*39)* किस मौर्य राजा ने दक्कन की विजय की थी ~ चंद्रगुप्त मौर्य
*40)* मालवा, गुजरात व महाराष्ट्र को किस शासक ने पहली बार जीता ~ चंद्रगुप्त मौर्य
*41)* वह अभिलेख जिससे यह प्रमाणित होता है कि चंद्रगुप्त मौर्य का प्रभाव पश्चिम भारत पर भी था ~ रूद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख 
*42)* चंद्रगुप्त मौर्य ने अपना अंतिम समय कहाँ पर बिताया ~ श्रवणबेलगोला, कर्नाटक में चंद्रगिरि पर्वत पर "चंद्रगुप्त बस्ती" बसाया 
*43)* मौर्य काल में शिक्षा का सर्वाधिक प्रसिध्द केन्द्र था ~ तक्षशिला 
*44)* चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के किस राजा को हराया ~ धनानंद
*45)* मेगस्थनीज द्वारा लिखी पुस्तक ~ इंडिका 
*46)* चंद्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस के बीच हुए युद्ध का वर्णन किसने किया है ~ एप्पियानस 
*47)* यूनानी विद्वान प्लूटार्क के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य के सेना में कितने सैनिक थे ~ 6 लाख सैनिक 
*48)* चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के समय उसका अधिकार था ~ पश्चिम में हिंदूकुश पर्वत से पूरब में बंगाल की खाड़ी तक तथा उत्तर में हिमालय की श्रृंखलाओं से दक्षिण में मैसूर तक 
*49)* महावंश टीका में चंद्रगुप्त मौर्य को सकल जम्बूद्वीप का शासक कहा गया है |
*50)* यूनानी विद्वान जस्टिन चंद्रगुप्त मौर्य को "सम्पूर्ण भारत" का नरेश बताता है |
*51)* 305 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस के मध्य युद्ध हुआ जिसमें सेल्यूकस पराजित हुआ और दोनों के मध्य संधि हुई : 
संधि की शर्तें ~ 
  • चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को 500 हाथी प्रदान किये |
  • सेल्यूकस ने अपनी पुत्री कार्नेलिया / हेलेना का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य से किया |
  • सेल्यूकस ने अपने 4 राज्य चंद्रगुप्त मौर्य को दिये ~ आर्कोशिया (कांधार), परोपनिषदी (काबुल), एरिया (हेरात), जेड्रोशिया (बलूचिस्तान)
  • सेल्यूकस ने मेगस्थनीज नामक एक राजदूत चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा, वह बहुत दिनों तक पाटलिपुत्र में रहा और इंडिका की रचना की |
*52)* चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी कौन हुआ ~ सम्राट बिंदुसार मौर्य 
*53)* "ग्रांड ट्रंक रोड" किस काल में बना था ~ मौर्य काल 
*54)* वर्तमान नगरपालिका प्रशासन का कौन सा कार्य मौर्यकाल से जारी है ~ जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण 
*55)* मौर्य युग में नगरों का प्रशासन नगरपालिकाओं द्वारा चलाया जाता था, जो वर्तमान भारत में भी लागू है |
*56)* मौर्य साम्राज्य के दस सम्राटों के नाम —
  • सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य 
  • सम्राट बिंदुसार मौर्य 
  • सम्राट अशोक महान 
  • सम्राट कुणाल मौर्य 
  • सम्राट दशरथ मौर्य 
  • सम्राट सम्प्रति मौर्य 
  • सम्राट शालिशूक मौर्य 
  • सम्राट देव वर्मन मौर्य 
  • सम्राट शतधन्वन मौर्य 
  • सम्राट बृहद्रथ मौर्य 
*57)* सम्राट चन्द्रगुप्त के पिता का नाम —चन्द्रवर्द्धन 
*58)* "मोरिय" शब्द, जिससे "मौर्य" शब्द की उत्पत्ति हुई है, किस भाषा का शब्द है —पाली भाषा -धम्म लिपि 
*59)* भारत में सर्वप्रथम शिलालेखों का प्रचलन किस काल से हुआ —मौर्य काल 
*60)* सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र का नाम जिसने "धम्म विजय" के माध्यम से 'विश्व विजय' किया —सम्राट अशोक महान 
*61)* अखण्ड भारत के निर्माता : Symbol of Undivided India किस शासक को कहा जाता है —सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य 
*62)* वह काल व शासक जिस समय भारत को "सोने की चिड़िया" कहा जाता था —मौर्य काल (सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य)

••• Important for IAS Aspirants •••
*जो इतिहास बनाना चाहते हैं उन्हें अपने समाज के इतिहास को वास्तविक रूप में जानना आवश्यक है |    .....✍🏻*
              ..... रावण सिंह शाक्य ✍🏻

 *सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ (SABM)*
•••••••••••••• शेयर जरूर करें •••••••••••••
☸ जय भारत ||| 563 ||| नमो बुद्धाय ☸
                *भवतु सब्ब मंगलं*

बंगाल का पाल राजवंश -एक बौद्ध राजवंश : ऐतिहासिक सिंहावलोकन @ चित्रप्रभा त्रिसरण

 बंगाल का पाल राजवंश —ऐतिहासिक सिंहावलोकन... ✍
____________SABM_____________
 सभी पाल नरेश बौद्ध मतानुयायी थे. पाल के वंश के संस्थापक गोपाल ने नालन्दा में एक बुद्ध विहार का निर्माण करवाया था. 
 धर्मपाल —गोपाल के पुत्र धर्मपाल एक उत्साही बौद्ध थे. उनके लेखों में उन्हें "परमसौगत" कहा गया है. उसने विक्रमशिला तथा सोमपुरी (पहाड़पुर) में प्रसिद्ध बुद्ध विहारों की स्थापना की. उसकी राजसभा में प्रसिद्ध बौद्ध लेखक हरिभद्र निवास करते थे. तारानाथ के अनुसार उसने 50 धार्मिक विद्यालयों की स्थापना करवायी थी. 
 देवपाल —अपने पिता की भांति देवपाल भी बौद्ध मतानुयायी थे. तारानाथ उसे बुद्ध धर्म की पुनः स्थापना करने वाले कहते हैं. उसने बुद्ध विहारों के निर्माण में योगदान दिया. उसने ओदन्तपुरी (बिहार) के प्रसिद्घ बौद्ध मठ का निर्माण करवाया था. उसके सीमावर्ती क्षेत्र से उसके समय के अनेक लेख प्राप्त होते हैं जो उसके नैष्ठिक बौद्ध होने का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं. 
 महीपाल —जब पाल साम्राज्य लगभग समाप्त -प्राय होने वाला था कि इस वंश की गद्दी पर महीपाल प्रथम जैसा एक शक्तिशाली शासक आसीन हुआ. महीपाल ने 1034 ई. तक शासन किया. उसने अनेक मठ तथा बुद्ध विहार बनवाये थे. उसके शासनकाल में बौद्ध धर्म को पुनः प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त हो गया. 
 पाल नरेश बौद्ध मतानुयायी थे तथा उन लोगों ने "बुद्ध धर्म को राजकीय प्रश्रय" दिया जबकि उसका भारत से पतन हो रहा था. उन्होंने बिहार व बंगाल में अनेक चैत्य, बुद्ध विहार एवं प्रतिमाएँ बनवायी. विक्रमशिला बौद्ध विश्वविद्यालय एक ख्याति प्राप्त अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय बन गया. इसकी स्थापना धर्मपाल ने की थी. यहाँ अनेक बुद्ध मन्दिर तथा विहार थे. 12 वीं शताब्दी में यहाँ लगभग 3 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे.
 उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट पता चलता है कि पाल नरेश बुद्ध मतानुयायी थे. उन्होंने बुद्ध धर्म को राजकीय प्रश्रय दिया था. बौद्ध विहारों, प्रतिमाओं का प्रचुरता से निर्माण करवाया था और बौद्ध विश्वविद्यालयों का निर्माण व उन्हें सुचारु रूप से संचालित करने हेतु धम्म दान देते रहते थे.
@ चित्रप्रभा त्रिसरण 
SABM -INDIA
चलो धम्म की ओर -चलो संविधान की ओर 

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा @ स्वतंत्रता दिवस की मंगलकामनाएँ

☸ *विजयी विश्व तिरंगा प्यारा* ☸
         *सत्यमेव जयते*
☸☸
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा |
झण्डा ऊँचा रहे हमारा ||
                                        ☸
सदा शक्ति बरसाने वाला |
वीरों को हर्षाने वाला ||
प्रेम सुधा सरसाने वाला |
मातृभूमि का तन मन सारा ||
झण्डा ऊँचा रहे हमारा .....
                                        ☸
आओ प्यारे वीरों आओ |
देश -धरम पर बलि-बलि जाओ ||
एक साथ सब मिल कर गाओ |
प्यारा भारत देश हमारा ||
झण्डा ऊँचा रहे हमारा .....
                                        ☸
स्वतंत्रता के भीषण रण में |
रखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में ||
काँपें शत्रु देखकर मन में |
मिट जाये भय संकट सारा ||
झण्डा ऊँचा रहे हमारा .....
                                        ☸
इस झँडे के नीचे निर्भय |
होवे महा शक्ति का संचय ||
बोलो भारतवर्ष की जय |
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा ||
झण्डा ऊँचा रहे हमारा .....
                                        ☸
इसकी शान न जाने पाए |
चाहे जान भले ही जाए ||
विश्‍व विजय कर के दिखलाए |
तब होए प्रण पूर्ण हमारा ||
झण्डा ऊँचा रहे हमारा .....
                                        ☸                                               
*धम्मचक्र, शेर, मोर भारत की शान बढ़ाता है |*
*पंचशील से बना तिरंगा भारत में लहराता है ||*
*कसम है तिरंगा कभी झुकने न देंगे |*
*भारत की शान कभी डूबने न देंगे ||*

☸☸
सभी देशवासियों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, मंगलकामनाएँ.
*SABM -INDIA*
         *सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ*
☸☸      

*HAPPY INDEPENDENCE DAY*
☸☸

Saturday, July 15, 2017

सम्राट अशोक के परिप्रेक्ष्य में युद्ध नहीं, बुद्ध चाहिए @ चित्रप्रभा त्रिसरण

👆 "युद्ध नहीं -बुद्ध चाहिए" — शेयर करें
सम्राट अशोक द्वारा सबसे बड़े युद्ध की तैयारी थी •••••••••••••••SABM•••••••••••••••••••••
||| 563 ||| Namo Buddhaya |||
👆 सम्राट अशोक महान द्वारा "युद्ध नहीं -बुद्ध चाहिए" पथ पर चलना सबसे बड़े युद्ध की तैयारी थी | 
लेकिन क्या किया जाय, आज के लोग समझे नहीं, जो समझे वो लोगों को सच्चाई नहीं बताये, गलत इतिहास लिखकर लोगों को गुमराह किये और आज भी कर रहे हैं |

👆 ऐतिहासिक तथ्य यह है कि राजा बिम्बिसार के कुछ एक सैनिकों को बुद्ध के शिष्यों ने उपसम्पदा देकर भिक्षु संघ में सम्मिलित कर लिया था | जब बिम्बिसार ने बुद्ध के सामने यह शिकायत रखी तब बुद्ध ने कठोर नियम बनाया कि सेना के किसी भी व्यक्ति को भिक्षु न बनाया जाय | जो बनाये, वह दुष्कर्म करने का दोषी होगा | तब से लेकर आज तक लगभग 2600 वर्ष बीत जाने पर भी भिक्षु संघ इस नियम का कड़ाई से पालन करता चला आ रहा है | आज भी बरमा में या अन्य बुद्धनुयायी देशों में सेना के किसी सैनिक या सेनानायक को भिक्षु नही बनाया जाता |

👆 "भगवान बुद्ध के अनुसार धार्मिक से धार्मिक राजा के हाथ में भी तलवार होना अत्यंत आवश्यक है | भगवान के अनुसार जो "पाँच राजचिह्न" किसी भी राजा के साथ सदैव रहते हैं, उनमें तलवार भी एक है | राजधर्म निभाने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है |"
_____________ स्रोत : जातक 5. 19. 69, सक्ङिच्च जातक 
👆 यह तलवार किसी राज्य को अपनी स्वार्थ के लिए जीतने या किसी निरपराध की हत्या करने के लिए नहीं है, बल्कि किसी आतयायी के आक्रमण से प्रजा को बचाने के लिए है | सेना नही होगी और शस्त्र नहीं होगे, तो देश की बाहरी और भीतरी सुरक्षा कैसे होगी ?
👆 यही धम्म तलवार सम्राट अशोक महान के पास थी, जिसके माध्यम से उन्होंने विश्व विजय किया और विश्व इतिहास में चक्रवर्ती सम्राट, महान और विश्वविजेता कहे गये | धम्म तलवार की उपस्थिति में कोई भी आक्रमणकारी एक इंच भूमि नहीं ले सका और न हीं चक्रवर्ती अशोक के जम्बूद्वीप पर आँख उठाकर देखने की हिम्मत हुई |
👆 "युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए" के पथ पर चलते हुए... 
आओ हम भी चलें "विश्वपटल" की ओर... 
@ C. P Trisaran 
SABM -INDIA

Monday, June 12, 2017

इतिहास के झरोखे से : शाक्य वंश —शेयर करें...

इतिहास के झरोखे से : विश्वगुरु भगवान बुद्ध का शाक्य वंश -वृक्ष... ✍🏻
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
विश्वगुरू भगवान बुद्ध का शाक्य वंश (गोत्र, असली शब्द - गोत) : वृक्ष, आधुनिक भारत की अनेक जातियों का समुच्चय था ।
1) बुद्ध का जन्म किस कुल में हुआ था ? वहीं शाक्य वंश में ।
👆 शाक्य कौन हैं ? वहीं शाक्य, सागबेरिया, सागबरिया आदि ।
2) बुद्ध का ससुराल कहाँ था ? वहीं कोलिय वंश में ।
👆 कोलिय कौन हैं ? वहीं कोल, कोली, कील, कोरी, कुरी, कीर, कोइरी , किरार, कुर्मी आदि ।
3) बुद्ध की पत्नी कौन थी ? वहीं गोपा ।
👆 गोपा कौन है ? वहीं गोप, गोआर, ग्वाल, गड़ेरी आदि ।
4) बुद्ध की पत्नी का दूसरा नाम क्या था ? वहीं भद्र कच्छा।
👆 कच्छा कौन हैं ? वहीं काछी , कछवाहा, कछवी, काची, कचिया आदि ।
5) बुद्ध की मौसी कौन थी ? वहीं प्रजापति ।
👆 प्रजापति कौन हैं ? वहीं सोनार , लोहार , कुम्हार, बढ़ई आदि ।
6) बुद्ध को खीर किसने खिलाई ? वहीं सुजाता ।
👆 सुजाता कौन थी ? वहीं सैनी, सेनी, सेना आदि ।
7) बुद्ध की शव -धातु पर वंश को लेकर किसने अधिकार जताया । वहीं मल्ल, मोरिय आदि ।
👆 ये मल्ल -मोरिय कौन हैं ? वहीं मल्लाह, मोरी, मोरे, मरार, मुराव, मुराई, मौर्य आदि ।
Via Dr. Rajendra Prasad Singh

||| 563 ||| नमो बुद्धाय |||
चलो बुद्ध धम्म की ओर..
चलो संविधान की ओर...
SABM -INDIA

Saturday, June 10, 2017

विश्वगुरु भगवान बुद्ध के 5 सिद्धांत पंचशील (Buddha 5 principles of Panchshila) : Read & Share

विश्वगुरू भगवान बुद्ध के 5 सिद्धांत : पंचशील 

(Buddha's Five principles of Panchshila)

••••••••••••••••••SABM••••••••••••••••••••
पालि भाषा (Pali Language) —
1) पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
2) अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
3) कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
4) मूसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
5) सुरा -मेरय -मज्ज -पमादट्ठाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि |
हिंदी अर्थ —
1) मैं अकारण प्राणी -हिंसा से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
2) मैं चोरी से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
3) मैं लैंगिक दुराचार या व्यभिचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
4) मैं असत्य बोलने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
5) मैं सुरा (कच्ची शराब), मद्य और नशीली चीजों के सेवन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ |
English Language —
1) No unprovoked killing (Respect for life)
2) No stealing (Respect for others' property)
3) No sexual misconduct (Respect for our pure nature)
4) No lying (Respect for honesty)
5) No intoxicants (Respect for a clear mind)
*नमो बुद्धाय*
*चलो बुद्ध धम्म की ओर*
*रावण सिंह शाक्य*
*SABM -INDIA*

Friday, June 9, 2017

बुद्धिस्ट पर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व : शेयर करें

बुद्धिस्ट पर्व "ज्येष्ठ पूर्णिमा" का महत्व —
•••••••••••••••••SABM••••••••••••••••••
दोस्तों ! आज बुद्धिस्टों के लिए महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि आज बुद्धिस्ट पर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा है | आज के दिन क्या हुआ था, पढ़ें —
1) सुजाता की धम्मदीक्षा |
2) महाधम्मदायाद सम्राट अशोक महान के पुत्र महाथेर महिन्द (महेन्द्र) का श्रीलंका में आगमन (252 ईसा पूर्व) |
3) सम्राट अशोक महान द्वारा बुलायी गयी तीसरी धम्म संगीति का समापन |
4) महाधम्मदायाद महाथेर महिन्द (महेन्द्र) का परिनिर्वाण (203 ईसा पूर्व)
5) उत्कल (उड़ीसा) में तपस्सु व भल्लिक व्यापारियों की धम्मदीक्षा |
• बुद्ध धम्म में पूर्णिमाओं का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि हर पूर्णिमा को विश्वगुरू तथागत बुद्ध या उनके शिष्यों से संबंधित घटनाएँ जुड़ी हुई है | भरहुत, साँची, अमरावती और कई जगहों पर पाये गये शिल्पों में दर्शाया गया है कि उपासक स्त्री -पुरूष बुद्ध प्रतीकों का चुम्बन कर रहे हैं | इन्हीं प्रतीकों में से चैत्य को ही "बुद्ध" का रूप कहा गया है | चैत्यों में बुद्ध अवशेष होने पर उसे "स्तूप" कहा जाता है | इसलिए हर पूर्णिमा को बौद्ध उपासक व उपासिकाओं को अच्छे वस्त्र पहनकर परिवार के सभी लोगों के साथ अपने नजदीक के चैत्यों, स्तूपों, बुद्ध विहारों पर धम्म वन्दना के लिए जाना चाहिए |  उसका प्रेम पूर्वक वंदन करना, आदर्श पूर्वक हृदय से स्पर्श करना बौद्धों का परम कर्तव्य है |
• सभी देशवासियों को ज्येष्ठ पूर्णिमा की हार्दिक बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, मंगलकामनाएँ व नमो बुद्धाय...
||| नमो बुद्धाय |||
चलो बुद्ध धम्म की ओर
चलो संविधान की ओर
@ रावण सिंह शाक्य
SABM -INDIA

बुद्धिस्ट पर्व "ज्येष्ठ पूर्णिमा" का महत्व : शेयर करें

बुद्धिस्ट पर्व "ज्येष्ठ पूर्णिमा" का महत्व —
•••••••••••••••••SABM••••••••••••••••••
दोस्तों ! आज बुद्धिस्टों के लिए महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि आज बुद्धिस्ट पर्व ज्येष्ठ पूर्णिमा है | आज के दिन क्या हुआ था, पढ़ें —
1) सुजाता की धम्मदीक्षा |
2) महाधम्मदायाद सम्राट अशोक महान के पुत्र महाथेर महिन्द (महेन्द्र) का श्रीलंका में आगमन (252 ईसा पूर्व) |
3) सम्राट अशोक महान द्वारा बुलायी गयी तीसरी धम्म संगीति का समापन |
4) महाधम्मदायाद महाथेर महिन्द (महेन्द्र) का परिनिर्वाण (203 ईसा पूर्व)
5) उत्कल (उड़ीसा) में तपस्सु व भल्लिक व्यापारियों की धम्मदीक्षा |
• बुद्ध धम्म में पूर्णिमाओं का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि हर पूर्णिमा को विश्वगुरू तथागत बुद्ध या उनके शिष्यों से संबंधित घटनाएँ जुड़ी हुई है | भरहुत, साँची, अमरावती और कई जगहों पर पाये गये शिल्पों में दर्शाया गया है कि उपासक स्त्री -पुरूष बुद्ध प्रतीकों का चुम्बन कर रहे हैं | इन्हीं प्रतीकों में से चैत्य को ही "बुद्ध" का रूप कहा गया है | चैत्यों में बुद्ध अवशेष होने पर उसे "स्तूप" कहा जाता है | इसलिए हर पूर्णिमा को बौद्ध उपासक व उपासिकाओं को अच्छे वस्त्र पहनकर परिवार के सभी लोगों के साथ अपने नजदीक के चैत्यों, स्तूपों, बुद्ध विहारों पर धम्म वन्दना के लिए जाना चाहिए |  उसका प्रेम पूर्वक वंदन करना, आदर्श पूर्वक हृदय से स्पर्श करना बौद्धों का परम कर्तव्य है |
• सभी देशवासियों को ज्येष्ठ पूर्णिमा की हार्दिक बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, मंगलकामनाएँ व नमो बुद्धाय...
||| नमो बुद्धाय |||
चलो बुद्ध धम्म की ओर
चलो संविधान की ओर
@ रावण सिंह शाक्य
SABM -INDIA

Thursday, April 13, 2017

बुद्ध धम्म अस्टांग 2017 "कैलेण्डर"

👆👉
🏻 *"बुद्ध धम्म अस्टांग" कैलेंडर 2017 —सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ (SABM) की ज्ञानवर्धक और आकर्षक प्रस्तुति...*

👉🏻 *वर्ष के सभी बौद्ध पर्वों, बुद्ध पूर्णिमाओं, मूल भारतीय महापुरुषों की जयंतियों, भारतीय राष्ट्रीय प्रतीकों, बुद्ध धम्म प्रतीक चिह्नों सहित...*
👉🏻 *कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ....*
☸ *मार्च 2017—*
• 3 : सावित्रीबाई फूले परिनिर्वाण 
*• 12 : फाल्गुन पूर्णिमा*
बुद्ध का कपिलवस्तु आगमन 
राहुल व नन्द की धम्मदीक्षा 
होलिका बलिदान दिवस 
• 23 : शहीद भगत सिंह बलिदान दिवस 
☸ *अप्रैल 2017—*
• *4 : अशोकाष्टमी* 
*(सम्राट अशोक महान जयन्ती)*
*• 9 : राहुल सांकृत्यायन जयन्ती*
*• 11 : चैत्र पूर्णिमा* 
*सुजाता द्वारा बुद्ध को खीर दान* 
*राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले जयंती*
*• 14 : डाॅ बाबा साहेब जयंती* 
*• 19 : सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य जयन्ती* 
☸ *मई 2017 —*
• *10 : बुद्ध पूर्णिमा (जन्म, ज्ञान प्राप्ति, महापरिनिर्वाण), बुद्धिस्ट नववर्ष आरम्भ, शाक्य सम्मत 2580 आरम्भ*
☸ *जून 2017 —*
*• 9 : ज्येष्ठ पूर्णिमा*
महाथेर महेन्द्र का श्रीलंका आगमन 
तीसरी धम्म संगीति समापन 
सन्त कबीर जयन्ती 
☸ *जुलाई 2017 —*
*• 9 : आषाढ़ पूर्णिमा* 
धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस 
महाभिनिष्क्रमण दिवस 
वर्षावास आरम्भ 
प्रथम धम्म संगीति आरम्भ 
☸ *अगस्त 2017 —*
*• 7 : श्रावण पूर्णिमा* 
अंगुलिमाल धम्मदीक्षा दिवस 
धम्मपद महोत्सव 
• 15 : स्वतंत्रता दिवस 
☸ *सितम्बर 2017 —*
• 1 : ललई सिंह यादव जयन्ती 
*• 5 : भाद्रपद पूर्णिमा* 
बुद्ध द्वारा आरियवंस सुत्त की देशना 
बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा शहादत 
• 17 : आनागारिक धम्मपाल जयन्ती 
पेरियार रामास्वामी नायकर जयन्ती 
*• 30 : अशोक धम्म विजयादशमी* 
*SABM द्वारा सम्राट अशोक धम्म विजय दिवस महोत्सव, सारनाथ* 
सम्राट बृहद्रथ मौर्य बलिदान दिवस 
महिषासुर बलिदान दिवस 
☸ *अक्टूबर 2017 —*
*• 5 : आश्विन पूर्णिमा* 
बुद्ध द्वारा अपनी माँ को सद्धम्मोपदेश 
प्रवारणा आरम्भ 
प्रथम धम्म संगीति समापन 
• 14 : डाॅ बाबा साहेब धम्मदीक्षा 
☸ *नवम्बर 2017 —*
*• 4 : कार्तिक पूर्णिमा* 
वर्षावास समापन 
सम्राट अशोक महान का परिनिर्वाण 
सारिपुत्त की धम्मदीक्षा 
• 26 : संविधान दिवस 
• 28 : राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले परिनिर्वाण 
☸ *दिसम्बर 2017 —*
*• 3 : मार्गशीर्ष पूर्णिमा* 
नीलगिरी हाथी पर बुद्ध की विजय
*महाथेरी संघमित्रा दिवस*  
• 26 : शहीद ऊधम सिंह सैनी जयन्ती 

*SABM -INDIA* 
*सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ -भारत*
*7398270563*, *9044900563*

👉🏻 *जनहित में अधिक से अधिक शेयर करें...*
👇🏻☸☸☸☸☸☸☸☸👇🏻

Wednesday, April 12, 2017

बुद्ध धम्म और महापंडित राहुल सांकृत्यायान

*बुद्ध धम्म और महापंडित राहुल सांकृत्यायान*
 *राहुल सांकृत्यायान जयंती —9 अप्रैल पर विशेष*

••••••••••••••••• *SABM* •••••••••••••••
*आज बौद्ध धर्म को सबसे बड़ा नुकसान ये बात कर रही है कि ये दलितों का धर्म है, लोगों में मानसिकता पनप गयी है | जिसके वजह से इसे लोग समझने के लिए भी तैयार नहीं जबकि ये वो मत है कि इसे जो भी एक बार ठीक से समझ ले उसे फिर दुनिया में किसी भी धर्म के सिद्धांत खोखले लगते हैं। ये सबसे अच्छा धर्म है क्योंकि यहाँ सत्य और तर्क ज्यादा है बाकि जगह कल्पना, गुटबाजी और पुरोहितवाद ज्यादा है । इसी कड़ी में प्रस्तुत है बौद्ध धर्म के महाज्ञाता पंडित राहुल सांकृत्यायन का छोटा सा जीवन परिचय :*
☸ *बुद्ध धम्म के महाज्ञाता राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20 वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व -दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान दिए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था।*
 *राहुल सांकृत्यायन जी का जन्म 9 अप्रैल, 1893 को पन्दहा ग्राम, ज़िला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ। राहुल सांकृत्यायन के पिता का नाम गोवर्धन पाण्डे और माता का नाम कुलवन्ती था। पितृकुल से मिला हुआ उनका नाम ‘केदारनाथ पाण्डे’ था। बचपन से ही वे अन्धविश्वास और कर्मकांड को पसंद नहीं करते थे, धर्म की जिज्ञासा पूर्ति उन्हें  सन् 1930 ई. में  लंका में बौद्ध मत को समझने से मिली जिसके बाद उन्होंने बौद्ध मत को हिंदी में उपलब्ध करने में अपना सारा जीवन लगा दिया । उन्होंने भगवान बुद्ध और उनके धम्म मार्ग से पिता के समान प्रेम किया और खुद को बेटा मानकर भगवान बुद्ध के बेटे राहुल के नाम पर अपना नाम भी राहुल रख लिया । बौद्ध होने के पूर्व राहुल जी ‘दामोदर स्वामी’ के नाम से भी पुकारे जाते थे। ‘राहुल’ नाम के आगे ‘सांस्कृत्यायन’ इसलिए लगा कि पितृकुल सांकृत्य गोत्रीय है।*
 *कट्टर सनातनी ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भी सनातन या ब्राह्मण या हिन्दू धर्म की रूढ़ियों को राहुल जी ने अपने ऊपर से उतार फेंका और जो भी तर्कवादी धर्म या तर्कवादी समाजशास्त्र उनके सामने आते गये, उसे ग्रहण करते गये और शनै: शनै: उन धर्मों एवं शास्त्रों के भी मूल तत्वों को अपनाते हुए उनके बाह्य ढाँचे को छोड़ते गये।*
☸ *सन् 1930 में श्रीलंका जाकर वे बौद्ध धर्म में दीक्षित हो गये एवं तभी से वे ‘रामोदर साधु’ से ‘राहुल’ हो गये और सांकृत्य गोत्र के कारण सांकृत्यायन कहलाये। उनकी अद्भुत तर्कशक्ति और अनुपम ज्ञान भण्डार को देखकर काशी के पंडितों ने उन्हें महापंडित की उपाधि दी एवं इस प्रकार वे केदारनाथ पाण्डे से महापंडित राहुल सांकृत्यायन हो गये।*
☸ *बौद्ध धर्म पर उनके कुछ हिंदी लेखन निम्न प्रकार से हैं —*
  *बुद्धचर्या’ (1930 ई.)*
  *धम्मपद’ (1933 ई.)*
  *विनय पिटक’ (1934 ई.)*
 *महामानव बुद्ध’ (1956 ई.)*
  *मज्झिम निकाय – हिंदी अनुवाद (1933)*
 दिघ निकाय –हिंदी अनुवाद  (1935 ई.)*
  *संयुत्त निकाय –हिंदी अनुवाद*
  *ऋग्वैदिक आर्य*
  *दर्शन दिग्दर्शन*
 *तुम्हारी क्षय –भारतीय जाती व्यवस्था, चल चलन पर व्यंग*
*पुरस्कार —*
*महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को सन् 1958 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ और सन् 1963 भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।*
 *सभी भारतवासियों को पंडित राहुल सांकृत्यायान जयंती की ढेर सारी बधाईयाँ, धम्मकामनाएँ, नमो बुद्धाय...*
*सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ (SABM)*

*नमो बुद्धाय*
*चलो धम्म की ओर*
*जनहित में शेयर करें...*